‘प्र’च्या कविता

Tuesday 19 April 2011

हम हैं गम हैं

हम हैं गम हैं
एक जैसे जिंदगी के सब मौसम हैं।
ना दुख का मातम
ना खुशी से आँखे नम हैं।।
माथे पे खालीपन
बाहों में तनहाई हैं।
शब मायुसी की और
भटकाती दिन की रहनुमाई हैं।
ना अपनी खैर-खबर
ना औरों का पयाम हैं।
एक जैसे जिंदगी के सब मौसम हैं।।
ना हटनेवाली फुरसत हैं
ना मिटनेवाली शिकायत हैं।
धडकनों में घुला रंज और
होठों पे फकत लानत हैं।
वही टुटें ख्वाबों की दुनियाँ
अब तलक कायम हैं।
एक जैसे जिंदगी के सब मौसम हैं।।
ना चाहत पायी किसीसे
ना गमें-दिल मयस्सर हुआ।
एक उम्र कटी इंतजार में
और बेमकामी हर सफर हुआ।
हसरत थी खुशीयों की
और पाये रंजो-गम हैं।
एक जैसे जिंदगी के सब मौसम हैं।।

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